

मौसम में बदलाव आते ही जम्मू संभाग के मैदानी इलाकों में आलू की खेती का सीजन शुरू हो जाएगा। आलू की बेहतर पैदावार के लिए किसानों को अभी से ही योजना बनाकर खेती की तैयारियां शुरू कर देनी चाहिए, क्योंकि भूमि जितनी ज्यादा नरम होगी, जमीन के अंदर आलू की उतनी ज्यादा गांठें बनेगी और बढ़ेंगी। आलू उत्पादन के विशेषज्ञ यूएस सूदन का कहना है कि जम्मू में 15 सितंबर से 15 अक्टूबर तक आलू की बिजाई की जा सकती है, लेकिन डेढ़ माह पहले जमीन तैयार करने का काम शुरू हो जाना चाहिए। 90 से 120 दिनों में फसल तैयार हो जाती है।
कैसे करें खेती की तैयारी
-जिन किसानों ने आलू के लिए सुरक्षित रखे खेतों में जैंतरी लगाई हुई है, उस पर हल चला दें ताकि यह जैंतरी जमीन में मिलकर खाद बन जाए।
-10 अगस्त से 15 सितंबर तक जमीन पर तीन से चार बार हल चलाकर समतल करें ताकि जमीन पूरी तरह से नरम हो जाए।
-एक कनाल भूमि में तीन किलो यूरिया, 10 किलो डाया व 10 किलो पोटाश खाद डाली जाए।
-इस दौरान खेतों में 4ए10 जी पाउडर जमीन में मिलाया जाना चाहिए ताकि जमीन के अंदर पनप रहे कीट खत्म हो सकें।
-आलू के बीज लगाने से पहले जमीन पर ओलियां बना दें।
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इन बीजों का करें इस्तेमाल
-जम्मू में कुफरी बादशाह, कुफरी सिंदूरी, कुपरी लवकार किस्में लगा सकते हैं। अगर चिप्स बनाने के लिए आलू चाहिए तो कुफरी चिप सोना लगाएं।
कैसे लगाएं आलू के बीज
-आलू के बीज को घर के अंदर हवादार वातारण में खुला छोड़ दें। जब आलू की आंख से अंकुर दिखने लगें तो इसे बोया जा सकता है।
-पौधे से पौधे की दूरी आठ इंच व कतार से कतार तक दूरी डेढ़ फुट तक होनी चाहिए।
- 21 से 25 दिन के बाद पौधों की गड़ाई करें और पौधे की जड़ों पर मिट्टी चढ़ाई जाए। इसी बीच एक कनाल भूमि पर तीन किलो यूरिया डाला जाए।
-पहली सिंचाई 10 से 15 दिनों में होनी चाहिए। ध्यान रहे आलू की बनाई गई ओली के में 25 फीसद पानी भर जाए।
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कैसे बचाए लेट ब्लाइट से फसल
आलू की फसल पर मौसम के उतार चढ़ाव व कोहरे के कारण लेट ब्लाइट बीमारी का अंदेशा ज्यादा रहता है। इसलिए फसल देरी से नही लगानी चाहिए। अगर फसल लेट ब्लाइट की चपेट में आ जाए तो एम 45 या रोडोमिल दवा का छिड़काव जरूरी है।